क्रिसमस की रोचक परंपराओं का ऐतिहासिक महत्व

दुनिया में विभिन्न जाति और धर्म के लोग हैं, जो अपने-अपने धर्म के अनुसार धार्मिक त्योहार मनाते हैं। हिंदू धर्म में दीपावली, दशहरा, होली जैसे पर्व, सिख धर्म में गुरु नानक जयंती और मुस्लिम धर्म में ईद मुख्य पर्व होते हैं।

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Historical significance of interesting Christmas traditions
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दुनिया में विभिन्न जाति और धर्म के लोग हैं, जो अपने-अपने धर्म के अनुसार धार्मिक त्योहार मनाते हैं। हिंदू धर्म में दीपावली, दशहरा, होली जैसे पर्व, सिख धर्म में गुरु नानक जयंती और मुस्लिम धर्म में ईद मुख्य पर्व होते हैं। इसी प्रकार ईसाई धर्म में ईसा मसीह का जन्मदिन, यानी "क्रिसमस" सबसे बड़ा त्योहार है।

क्रिसमस का महत्व और तारीख:
ईसाई धर्म का यह त्योहार हर साल 25 दिसंबर को मनाया जाता है और इसे "बड़ा दिन" भी कहा जाता है। यह एकमात्र ऐसा पर्व है जो पूरे विश्व में एक ही दिन मनाया जाता है। खास बात यह है कि क्रिसमस मनाने की तिथि सदैव 25 दिसंबर ही होती है।

इतिहास में, सैकड़ों वर्ष पहले रोमन जाति के लोग इस दिन सूर्य देवता का जन्मदिन मनाते थे। उनकी मान्यता थी कि सूर्य देवता का जन्म 25 दिसंबर को हुआ था। ईसा मसीह के जन्म और ईसाई धर्म के प्रचार के बाद इस दिन को ईसा मसीह का जन्मदिन मानकर उत्सव के रूप में मनाया जाने लगा।

क्रिसमस वृक्ष की परंपरा

Historical significance of interesting Christmas traditions

क्रिसमस पर्व का सबसे बड़ा प्रतीक क्रिसमस वृक्ष है। इसे सजाने की परंपरा आठवीं शताब्दी में लॉनिफक्स नामक धर्म प्रचारक ने शुरू की। बाद में, 1912 में अमेरिका के एक बच्चे जोनाथन ब्रूमर और उसके पिता ने इसे विशेष रूप से सजाकर जीवन का प्रतीक बनाया। इसके बाद यह परंपरा पूरे विश्व में फैल गई।

एक रोचक दंत कथा के अनुसार, ईसा मसीह के जन्म के समय देवताओं ने सदाबहार वृक्ष को सितारों से सजाकर अपनी प्रसन्नता व्यक्त की थी। इसी वजह से सदाबहार वृक्ष क्रिसमस वृक्ष का प्रतीक बन गया।

विश्व का सबसे बड़ा क्रिसमस वृक्ष उत्तरी कैरोलिना के हिल्टन पार्क में स्थित है। यह 90 फुट ऊंचा और 15 फुट चौड़ा है, जिसकी छाया की परिधि 110 फुट तक फैली हुई है।

क्रिसमस वृक्ष पर राजकुमार अल्बर्ट ने 1841 में इंग्लैंड के विंडसर कैसल में पहली बार देवता की मूर्ति लगाई। इसके बाद से यह परंपरा लोकप्रिय हो गई।

क्रिसमस की अन्य परंपराएं

क्रिसमस पर पुडिंग बनाने की परंपरा भी खास है। यह परंपरा 1670 में शुरू हुई थी। पहले यह आटा और बुरादे से बनाई जाती थी। बाद में इसमें मांस, अंडे, शराब और टॉफी का इस्तेमाल किया गया। आजकल कई तरह की पुडिंग बनाई जाती हैं।

इसके अलावा, सांता क्लॉज का नाम क्रिसमस पर्व से अभिन्न रूप से जुड़ा है। बच्चों में सांता क्लॉज बेहद लोकप्रिय हैं क्योंकि वह प्यारे-प्यारे उपहार देने वाले सहृदय पुरुष माने जाते हैं। बच्चे और बड़े सभी एक-दूसरे को उपहार देकर इस पर्व को खुशी के साथ मनाते हैं।

क्रिसमस पर शुभकामनाएं भेजने की परंपरा 1846 में शुरू हुई थी। इस परंपरा का श्रेय सर हेनरी कोल को दिया जाता है।

क्रिसमस की आध्यात्मिकता

यह पर्व केवल एक त्योहार नहीं, बल्कि प्रेम, शांति, और दया का प्रतीक है। यह हमें सिखाता है कि हमें अपने आसपास के लोगों के साथ सौहार्द और खुशी बांटनी चाहिए।

निष्कर्ष

क्रिसमस, ईसाई धर्म का सबसे बड़ा त्योहार, केवल धार्मिक महत्व नहीं रखता बल्कि इसकी परंपराएं और सांस्कृतिक पहलू इसे अद्वितीय बनाते हैं। चाहे वह क्रिसमस वृक्ष हो, सांता क्लॉज हो, या उपहार देने की परंपरा, हर पहलू में उत्साह और आनंद का अनुभव होता है। यह दिन हमें प्रेम और दया के साथ जीवन जीने की प्रेरणा देता है।

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